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मोसेस ऑन द माउंट सिनाई गोल्ड इंगॉट बुलियन बार विद टेन कमांडमेंट्स यहूदी तनाख


 

यूं तो दुनिया में तरह-तरह के धर्म है और हर धर्म की अपनी मान्यताएं और रीति-रिवाज होते हैं। इसी तरह यहूदी धर्म भी एक बहुत पुराना और प्राचीन धर्म है। यहूदी धर्म का उद्भव पश्चिमी एशिया में हुआ था और यह धर्म सदियों से चला आ रहा है। यहूदी धर्म के अनुयायी यहूदी कहलाते हैं और उनकी आस्था का केंद्र यरूशलेम नगर है। यहूदी धर्म के लोग तनाख को अपना पवित्र ग्रंथ मानते हैं और उनका मानना है कि तनाख में ही ईश्वर के दस आज्ञाएं लिखी हुई है। तनाख के अनुसार ईश्वर ने ये दस आज्ञाएं मोसेस (मूसा) को पत्थर की दो पटिया पर लिख कर दी थी। ये दो पटिया सोने की बनी हुई थी और उन पर इब्रानी भाषा में दस आज्ञाएं लिखी हुई थी।
यहूदी धर्म में इन दस आज्ञाओं का बहुत महत्व है और इन्हें यहूदी धर्म का आधार माना जाता है। इन दस आज्ञाओं में ईश्वर के प्रति आज्ञाकारिता, अपने माता-पिता का सम्मान, चोरी न करने, हत्या न करने, झूठी गवाही न देने जैसी बातें लिखी हुई है। यहूदी धर्म के लोगों का मानना है कि इन दस आज्ञाओं का पालन करने से ही वो ईश्वर को प्रसन्न कर सकते हैं और मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं।
हाल ही में इस्राएल में एक ऐसी सोने की पटिया मिली है जिस पर इब्रानी भाषा में दस आज्ञाएं लिखी हुई है। इस पटिया को माउंट सिनाई पर पाया गया है और माना जा रहा है कि ये वही पटिया है जिस पर ईश्वर ने मोसेस को दस आज्ञाएं लिख कर दी थी। इस पटिया की खोज से पुरातत्वविदों और इतिहासकारों में काफी उत्साह है और माना जा रहा है कि इस खोज से यहूदी धर्म के इतिहास पर नई रोशनी पड़ेगी।
दस आज्ञाएं क्या हैं?
मोसेस (मूसा) को जो दस आज्ञाएं दी गई थी, वो इस प्रकार है:
1. मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूं; तेरे सिवाय अन्य कोई ईश्वर न मानना।
2. तू अपने लिए कोई मूर्ति न बनाना; और न किसी की मूरत जो आकाश में है, पृथ्वी पर है, और पृथ्वी के जल में है। तू न उनको दण्डवत करना और न उनकी सेवा करना।
3. तू यहोवा अपने परमेश्वर का नाम व्यर्थ न लेना।
4. सब्त के दिन को पवित्र मानना; छ: दिन तो तू काम करना और अपने सब काम करना।
5. अपने पिता और अपनी माता का आदर करना।
6. हत्या न करना।
7. व्यभिचार न करना।
8. चोरी न करना।
9. झूठी गवाही न देना।
10. अपने पड़ोसी के घर की लालसा न करना; अपने पड़ोसी की पत्नी की न उसके दास की, न उसकी दासी की, न उसके बैल की, न उसके गदहे की, और न उसकी किसी वस्तु की लालसा करना।